Sunday 18 August 2013

* अच्छे कर्म और बुरे कर्म *


              इस संसार में मनुष्य जिस तरह खाली आता है, उसी तरह खाली हाथ विदा भी होता है | मनुष्य जब विदा होता है यानि की जब उसकी मृत्यु होती है, तो उसके द्वारा संचित हर वस्तु यहीं रह जाती है | मनुष्य उन्हें छोड़कर चला जाता है।

               मनुष्य जीवन भर किसी भी भौतिक वस्तु, जो उसे थोड़ी देर के लिए शारीरिक एवं मानसिक सुख दे सकें | उसे किसी भी प्रकार से एकत्रित करने में अपना समय व्यतीत करता है, जबकि धन-वैभव उसे आत्मिक सुख-शांति नहीं दे सकते हैं | यह सब जानते हुए भी मनुष्य जीवन को सुधारने की कोशिश नहीं करता है |

               मनुष्य का जीवन तब सुधरता है, जब वह निस्वार्थ भाव से परोपकारपूर्ण व्यतीत किया जाए | इसमें किसी भी व्यक्ति को दुखीं नहीं करना एवं जीवों को पीड़ा नहीं पहुंचाना भी शामिल हैं | जो व्यक्ति जीवन में दया, करुणा, सद्भाव एवं सदाचार को धारण करता है और उसका आचरण करता है, इन सबसे बने सत्कर्म ही मृत्यु के पश्चात उसके साथ जाते हैं |

               अच्छे कर्म और बुरे कर्म, पुण्य और पाप ही मृत्यु के बाद मनुष्य के साथ अगले भव के लिए जाते हैं | धन-दौलत कभी भी साथ नहीं जाते | इसलिये हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए कि मरते समय सन्तुष्टि का भाव हो |


                                   ஜ۩۞۩ஜ हरि: ॐ तत्सत्‌ ஜ۩۞۩ஜ

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